राजस्थान के ऐतिहासिक मंदिरों में विशेष स्थान रखने वाला बागोल पुनर्निर्मित मंदिर, दुनिया भर में बागोल ही एकमात्र ऐसा ज्ञात स्थान हैं जंहा श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान की अदभुत मूर्ति हैं अगर इसे गौर से देखे तो दुनिया भर की भगवान पार्श्वनाथ की मूर्तियों से यह मूर्ति कई मायनों में भिन्न नजर आएगी लेकिन सबसे प्रमुख और स्पष्ट भिन्नता यह हैं की मूर्ति के दोनों कंधो से ऊपर उठे हुए दो नाग फन काढे हुए हैं जो पीछे खड़े शेषनाग के फन को सहारा देते हुए लगते हैं सामान्य तौर पर जो भी मुर्तिया देखी गई हैं उनमे भगवान पार्स्वनाथ के छत्र बने शेषनाग को अकेले ही दर्शाया गया हैं जैन ग्रंथो में भी ऐसी विशिष्ठ मूर्ति का कंही उल्लेख नहीं हैं बागोल में साठ साल पहले प्रतिष्टित यह मूर्ति आठवी या नौवी यानि कम से कम अग्यारह या बारह्सो वर्ष पुराणी प्राचीन और चमत्कारिक मूर्ति हैं ।शुद्ध सोने के रंग में शोभायमान पुनर्निर्मित यह स्वर्ण मंदिर आज राजस्थान के इतिहास में एकमात्र मंदिर हैं जो श्री स्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा पुनः प्रतिष्ठापित मंदिर हैं ।
Sunday, October 17, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment