Monday, November 22, 2010

Police gun down Coimbatore killer

Arrested for abduction and murder of 2 minors, the 23-yr-old was trying to flee



The van driver who was recently arrested for kidnapping, torture and murder of two school children in Coimbatore was shot dead in an alleged police encounter on Tuesday morning. Two policemen were also injured in the encounter.



Mohankrishnan had allegedly snatched a cop’s revolver and opened fire. The victims – Muskan and Hrithik – with their parents

The incident took place when a police team was taking the accused Mohanakrishnan, 23, and his accomplice Manoharan, 23, in two separate police vans to the crime scene – where they had allegedly tortured and killed siblings Muskan Jain, 11, and her brother Hrithik Jain, 8, on October 29 – some 35 km away at Ankalakurichi near Pollachi, police said.

On the way, Mohanakrishnan – the school van driver who was the main accused in the case – snatched the revolver of police sub-inspector Jyothi and opened fire, injuring Jyothi and his colleague Muthumlai. Police inspector Annadurai, who was also travelling in the police vehicle, and Muthumalai opened retaliatory fire that critically injured Mohanakrishnan, who later died at Coimbatore Medical College Hospital. The two injured policemen were also hospitalised, and were out of danger, police added.

“Near Podanur, Mohanakrishnan grabbed Jyothi's revolver and demanded the van to be taken towards Tamil Nadu-Kerala border. When the cops resisted, Mohan opened fire.

Interestingly, Mohan was not handcuffed at the time of the incident.

The twin murder of Muskan and her brother, children of textile merchant Ranjit Kumar Jain
origin from Deuri,Pali Marwad,Rajasthan , had rocked Tamil Nadu. Muskan and Hrithik were abducted on October 28 near their house at Town Hall area in Coimbatore. While the body of Muskan was fished out from Parambikulam Aliyar Project (PAP) canal near a dam site about 77 km away from Coimbatore, Hrithik’s remains were found the next day from a lake in Tirupur district.



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Friday, November 12, 2010

Dam Development Project & Multinational Companies

देश की प्रगति में पानी की महत्वपूर्ण भूमिका
पानी किसी भी प्रदेश, शहर अथवा गांव के विकास के लिए मुलभुत आवश्यकता हैं ! मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, बंगलूरु अथवा कोई भी शहर को पानी मिलना अगर बंद हो जाए तो शहर में रहने वाले लोगो का शहर में रहना मुश्किल हो जाता हैं, ठीक वैसे ही गाँवो के विकास और खेती के लिए आवश्यक पानी का होना जरुरी हैं! पानी कुदरत की ओर से तो शहरों और गाँवो को समान रूप से मिलता हैं, पर शहर के लोगो को पेयजल की आपूर्ति के लिए शहरों के नजदीक जल संग्रह करने हेतु झीलों का निर्माण किया जाता हैं! पानी किसी भी शहर की लाइफ लाइन हैं वैसे ही गाँवो में खेती का उत्पादन पुरे प्रदेश अथवा देश की भुखमरी को मिटाने का एक मात्र जरिया हैं! आज देश की हजारो नदियों का लाखो करोडो गेलन पानी, जिसका समुचित संग्रह वितरण व्यवस्था नहीं होने के कारण व्यर्थ में ही बरबाद हो जाता हैं! अगर इस पुरे पानी की समुचित संग्रह वितरण व्यवस्था की जाए तो भारत पूरी दुनिया को खाध्य आपूर्ति करने सक्षम साबित हो सकता हैं ! अब तक हम बांध झीलों एवं नहरों के निर्माण के लिए सरकार पर निर्भर रहे पर सरकार की भी अपनी सीमाए होने के कारण जितना निर्माण होना चाहिये था उतना नहीं हो पाया पर अब सिर्फ सरकार के भरोसे बैठ कर काम चलने वाला नहीं हैं और इस तरह तो और भी सेकडो साल निकल जायेंगे!
महाराष्ट्र देश में सहकारिता का उदाहरण हैं अगर सहकारिता के माध्यम से इस काम को पुरे देश में अंजाम दिया जाए तो अगले पांच साल में देश का पूरा नक्षा ही बदल सकता हैं| पूंजी निवेश के लिए मलटीनेशनल एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ भागीदारी के माध्यम से देश भर में बांधो एवं झीलों का निर्माण और जल आपूर्ति की व्यवस्था की जाए तो वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभर कर सामने आये! सरकार को चाहिये की वह इस कार्य हेतु योजनाये बनाये और मलटीनेशनल एवं निजी क्षेत्र की देशी कंपनियों को बांध एवं झीलों के निर्माण कार्य के आमंत्रित करे!

Sumer Duariya Bandh Dam Project

पाली (राज)। राजस्थान के मारवाड़ अंचल में स्थित अरावली की गोद में आदिवासी बहुल पाली जिले क़ी दुआरिया नदी पर प्रस्तावित 'दुआरिया-बांध' परियोजना ३५ वर्षो के बाद भी अब तक सर्वेक्षण स्तर तक ही सिमित हैं। जबकि इस दौरान इसकी प्रस्तावित लागत १५ करोड़ से बढ़कर वर्त्तमान में १६५.८१ करोड़ रुपये हो गयी हैं।
प्रस्तावित दुआरिया बांध परियोजना के सर्वेक्षण का कार्य राजस्थान शासन के २ अक्तूबर १९६४ के आदेश के तहत प्रारंभ हुआ था और इसके सर्वेक्षण कार्य पर राज्य शासन अब तक सवा करोड़ रुपये से भी अधिक खर्च कर चूका हैं। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह परियोजना गत ३५ वर्षो से लंबित हैं। राज्य शासन ने १९७५ में एक अलग जोधपुर संभाग राज्य के जल संसाधन विभाग के तहत खोला था लेकिन इसे १९८८ में ग्रामीण जल यांत्रिकी सेवा के तहत हस्तांतरित कर दिया गया। जल संसाधन विभाग के तहत अब केवल एक उपसंभाग ही रह गया हैं और उसे भी अमले की कमी के कारण लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में मिला दिया गया हैं।
परियोजना के अनुसार राज्य शासन द्वारा दुआरिया बांध परियोजना को प्राथमिकता नहीं देने के कारण ही केंद्रीय जल आयोग द्वारा इस परियोजना की तकनिकी स्वीकृति तक नहीं मिल पायी हैं जबकि स्वीकृति मिलने के बाद भी इस इस परियोजना में लगभग दस वर्ष लगेंगे।
सूत्रों ने बताया की केंद्रीय जल आयोग को राज्य शासन द्वारा भेजे गये प्रतिवेदनो में परियोजना की लागत का प्राथमिक आकलन जून १९७७ को ३१.७५ करोड़ रुपये, १९८८ में ६२.८८ करोड़ रुपये, १९९५ में १२०.३० करोड़ रुपये था और अंतिम आकलन में इसकी लागत १७५.८१ करोड़ रुपये आंकी गयी हैं।
दुआरिया बांध परियोजना के लिए जंहा केंद्रीय जल आयोग से अनापति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में सफलता नहीं मिली हैं वहीँ वन विभाग एवं पर्यावरण मंत्रालय से भी इसके स्वीकृति प्राप्त करना अधर में लटका हुआ हैं।
पाली जिला मुख्यालय से साठ कि.मी. और देसुरी पंचायत समिति से मात्र दस कि.मी. दूर सुमेर में प्रस्तावित दुआरिया बांध परियोजना के पक्के बांध क़ी ऊंचाई ४५ मीटर हैं कुल लम्बाई २८५.६१ मीटर हैं। इस परियोजना से पाली जिले क़ी ८५ हजार एकड़ और जोधपुर विभाग क़ी लगभग पांच सौ एकड़ से भी अधिक भूमि को वार्षिक सिंचाई सुविधा उपलब्ध होना प्रस्तावित हैं।

[राष्ट्रीय दैनिक 'नवभारत टाइम्स' मुंबई के १० अप्रेल २००० में प्रकाशित ''३५ साल में परियोजना कार्य सर्वेक्षण तक ही पहुँच पाया हैं'' से साभार]