हाल ही में प्रकाशित इकोनोमिक टाइम्स द्वारा जारी भारत की प्रमुख 500
कंपनियों की सूचि में राजस्थान के मारवाड़, मेवाड़, हाड़ोती और शेखावटी
क्षेत्र से आये व्यापारी बन्धुओ की कुल कितनी कंपनिया हैं यह कहना आसान तो
नहीं हैं लेकिन मारवाड़ से दो कंपनियों के नाम जरुर गिनाये जा सकते हैं
जिनमे टेक्सटाइल से नाकोडा और स्टिल उद्योग से वरुण इंडस्ट्री का नाम
प्रमुख हैं। पुरे भारत की 500 प्रमुख कंपनियों की सूचि में राजस्थान से
करीब 50 कंपनिया होगी तो मारवाड़ से केवल दो नाम का होना शर्म की बात तो हैं
पर ऐसा हैं तो क्यों ?
मारवाड़ के व्यापारी बन्धुओ का पब्लिक भागीदारी में विश्वास की कमी के कारण ही 500 की सूचि में सिर्फ दो नाम हैं लेकिन क्या आने वाली पीढ़िया इस बात के लिए हमें माफ़ कर पायेगी आज हम अपने बच्चो को ग्रेजुशन पढाई लिखाई पूरी करवाकर नौकरी की प्रेरणा दे रहे हैं क्योंकि हमें मालूम हैं की यह पढ़े लिखे युवा पारंपरिक तरीके से तो व्यापर करेंगे नहीं और कोरपोरेट व्यापार के लिए इतनी पूंजी हैं नहीं। आज कोरपोरेट व्यापार के लिए कम से कम सौ करोड़ की पूंजी की आवश्यकता हैं और उतनी पूंजी हमारे मारवाड़ के लोग अपनी पूरी जिन्दगी में नहीं जुटा पाए इसलिए आज व्यापारी खानदान के बच्चो को नौकरी की प्रेरणा दे रहे हैं। अगर समय रहते हमारा विश्वास भागीदारी और इक्विटी पर मजबूत नहीं हुआ तो एक जनरेशन का नौकरी में चले जाने पर अगली तीन चार पीढ़िया भी वापस कभी उद्योग व्यापार में नहीं आ सकती हैं। इक्विटी इवेस्टमेंट में भरोसा ही आने वाली जनरेशन के लिए कोर्पोरेट जगत में स्थान बना सकता हैं । व्यापारी जब तक अपने आप को एक अच्छा इन्वेस्टर नहीं बना सकता हैं तब तक कॉर्पोरेट जगत में अपने आपको कभी भी स्थापित नहीं कर सकते हैं।
मारवाड़ के व्यापारी बन्धुओ का पब्लिक भागीदारी में विश्वास की कमी के कारण ही 500 की सूचि में सिर्फ दो नाम हैं लेकिन क्या आने वाली पीढ़िया इस बात के लिए हमें माफ़ कर पायेगी आज हम अपने बच्चो को ग्रेजुशन पढाई लिखाई पूरी करवाकर नौकरी की प्रेरणा दे रहे हैं क्योंकि हमें मालूम हैं की यह पढ़े लिखे युवा पारंपरिक तरीके से तो व्यापर करेंगे नहीं और कोरपोरेट व्यापार के लिए इतनी पूंजी हैं नहीं। आज कोरपोरेट व्यापार के लिए कम से कम सौ करोड़ की पूंजी की आवश्यकता हैं और उतनी पूंजी हमारे मारवाड़ के लोग अपनी पूरी जिन्दगी में नहीं जुटा पाए इसलिए आज व्यापारी खानदान के बच्चो को नौकरी की प्रेरणा दे रहे हैं। अगर समय रहते हमारा विश्वास भागीदारी और इक्विटी पर मजबूत नहीं हुआ तो एक जनरेशन का नौकरी में चले जाने पर अगली तीन चार पीढ़िया भी वापस कभी उद्योग व्यापार में नहीं आ सकती हैं। इक्विटी इवेस्टमेंट में भरोसा ही आने वाली जनरेशन के लिए कोर्पोरेट जगत में स्थान बना सकता हैं । व्यापारी जब तक अपने आप को एक अच्छा इन्वेस्टर नहीं बना सकता हैं तब तक कॉर्पोरेट जगत में अपने आपको कभी भी स्थापित नहीं कर सकते हैं।