Saturday, February 13, 2010

मंदिर ट्रस्टो के चुनाव लोकतान्त्रिक प्रणाली से कराने की मांग

मुंबई | मारवाड़ जैन संघ मुंबई प्रमुख भरत सोलंकी ने राजस्थान के देवस्थान विभाग आयुक्त एवं पाली जिला कलेक्टर को पत्र लिख कर जिले के अनेक गाँवो में मंदिरों के प्रबंधन समितिओ का चुनाव लोकतान्त्रिक प्रणाली से कराने एवं देवस्थान विभाग में पंजीकृत करने के लिए उचित कार्यवाही करने की मांग की हैं | मंदिर ट्रस्ट व्यवस्थापन समितियो का देवस्थान विभाग में पंजीकरण नहीं होने के कारण कई गावो में चढ़ावे की बोलियो की करोडो रुपये की रकम के हिसाब किताब में पारदर्शिता नहीं होने से धन का सदुपयोग नहीं हो रहा हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता हैं | प्रवासी श्रद्धालु अपनी मेहनत की कमाई से अर्जित धन से गाँव में स्वयं का मकान बनवाकर एवं देवस्थान में चढ़ावा लेकर अपनी प्रतिष्ठा बढाने का प्रयास करते और फिर दक्षिण भारत की ओर पलायन कर जाते हैं पीछे देवस्थान पेढ़ी के तथाकतित स्वयंभू ट्रस्टी रकम को आपस में बाँट लेते हैं इस प्रकार विभिन्न मंदिरों के करोडो रुपये की हेरा फेरी होती हैं जिसकी जाँच करने वाला कोई नहीं हैं |
ज्ञात रहे सरकार का ध्यान आकर्षित करने पिछले मई महीने में एक महोत्सव समारोह के दौरान सोलंकी ने बागोल में तीन दिन का आमरण अनसन किया था जिसके परिणामस्वरुप राज्य सरकार के प्रशाशनिक सुधार विभाग उपशासन सचिव द्वारा जारी आदेश के अनुसार सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में शामिल करने की तैयारी कर दी हैं जिसके तहत राज्य के ग्रामीण अंचलो में स्थित राजकीय विज्ञापित मंदिरों के अतिरिक्त सभी अराजकीय मंदिरों, धार्मिक पूजा स्थलों के प्रबंधन एवं व्यवस्था के लिए प्रत्येक तहसील मुख्यालय पर स्थायी समिति का गठन कर लिया गया हैं | समिति अध्यक्ष उपखंड अधिकारी होंगे तथा उपाध्यक्ष तहसीलदार होंगे परन्तु ग्रामीण स्तर पर मंदिर ट्रस्टो के लोकतान्त्रिक प्रणाली से समितियो के चुनाव कराने एवं ट्रस्ट पंजीकरण के लिए बाध्य करने के बारे में अभी भी कोई विशेष तैयारी सरकार ने नहीं की हैं |
संघ प्रमुख भरत सोलंकी ने राजस्थान के सभी देवस्थान पेढ़ीयो की जाँच कराने के साथ ट्रस्टो के चुनाव शीघ्र ही कराने की मांग की हैं ताकि धार्मिक श्रद्धालुओ की भावनाओ का विश्वास कायम रहे और देवस्थान के धन का सदुपयोग हो सके |

2 comments:

  1. माननीय ,
    जय हिंद
    महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर यह
    शिवस्त्रोत

    नमामि शमीशान निर्वाण रूपं
    विभुं व्यापकं ब्रम्ह्वेद स्वरूपं
    निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
    चिदाकाश माकाश वासं भजेयम
    निराकार मोंकार मूलं तुरीयं
    गिराज्ञान गोतीत मीशं गिरीशं
    करालं महाकाल कालं कृपालं
    गुणागार संसार पारं नतोहं
    तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं .
    मनोभूति कोटि प्रभा श्री शरीरं
    स्फुरंमौली कल्लो लीनिचार गंगा
    लसद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा
    चलत्कुण्डलं भू सुनेत्रं विशालं
    प्रसन्नाननम नीलकंठं दयालं
    म्रिगाधीश चर्माम्बरम मुंडमालं
    प्रियम कंकरम सर्व नाथं भजामि
    प्रचंद्म प्रकिष्ट्म प्रगल्भम परेशं
    अखंडम अजम भानु कोटि प्रकाशम
    त्रयः शूल निर्मूलनम शूलपाणीम
    भजेयम भवानी पतिम भावगम्यं
    कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
    सदा सज्ज्नानंद दाता पुरारी
    चिदानंद संदोह मोहापहारी
    प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी
    न यावत उमानाथ पादार विन्दम
    भजंतीह लोके परे वा नाराणं
    न तावत सुखं शान्ति संताप नाशं
    प्रभो पाहि आपन्न मामीश शम्भो .

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