Monday, November 9, 2009
चोरों की गिरफ्तारी के लिए दिया धरना
पुलिस व प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ब्रज भाटा चौक स्थित सडक मार्ग के किनारे सुबह साढे नौ बजे से लोगों के पहुँचने का सिलसिला शुरू हो गया। दोपहर तक नगर पालिकाध्यक्ष दिलीप सोनी, उपाध्यक्ष घीसाराम जाट, प्रतिपक्ष नेता ओमप्रकाश बोहरा, पार्षद राकेश मेवाडा, नथाराम भाटी, माता महाकाली मन्दिर विकास समिति के मांगीलाल सोलंकी, मूलाराम घांची, सहित सैकडों लोग वहां एकत्रित हो गए। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात करना पडा।
लोगों ने वहां धरना दिया और पुलिस की कार्रवाई पर रोष जताया। कांग्रेस नेता जयसिंह राजपुरोहित व धरनार्थियों ने बताया कि पुलिस ने तीन दिन में वारदात का खुलासा नहीं किया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। इसके बाद मन्दिर समिति के पदाघिकारी, कांग्रेस नेता व धरनार्थियों का प्रतिनिधिमण्डल थाने पहुंचा । उन्होंने सीओ बाली मोहनलाल खिन्नीवाल से आरोपियों का पता लगाने की मांग की। मारवाड जैन संघ मुंबई प्रमुख भरत सोलंकी ने सादडी के महाकाली, बागोल के चिंतामणि और सोजत के करणी माता मंदिर सहित जिले में हुई चोरी की कई वारदातों का पर्दाफाश नहीं करने के विरोध में पुलिस के खिलाफ धरना दे रहे विभिन्न संगठन एवं कार्यकर्ताओ का समर्थन किया हैं और सरकार से शीग्र ही क्षेत्र में हो रही इस तरह कि घटनाओ पर अंकुश लगाने एवं उपरोक्त मामलो की समुचित जाँच कराने की मांग की हैं ताकि जिले में लगातार हो रही चोरी की इन घटनाओ की साजिश का पर्दाफाश हो सके ।
Friday, November 6, 2009
Monday, November 2, 2009
राज ठाकरे की चेतावनी, सभी विधायक मराठी में लें शपथ
बंबई!!! आपने ध्यान दिया, बंबई, मुंबई नहीं। ऐसी ज़ुर्रत कैसे हो गई इरफान की? मुंबई में रहना है या नहीं? और वोडाफोन? उन्हें भी शहर में अपना बिज़नेस चलाना है या नहीं?
जबसे करण जौहर ने अपनी नई फिल्म ‘वेक-अप सिड’में बॉम्बे शब्द के इस्तेमाल के लिए माफी मांगी है, तब से मैं सोच रहा हूं कि क्या बंगाली अपनी भाषा और अपनी कल्चर से उतना प्यार नहीं करते जितना मराठी, खासकर राज ठाकरे का समर्थन करने वाले मराठी अपनी भाषा और संस्कृति से करते हैं? अगर करते हैं तो क्यों नहीं आज तक कोई गैर-बंगाली उनके प्यारे शहर कोलकाता को कलकत्ता कहने पर पिटा? क्यों नहीं अब तक वहां के अंग्रेज़ी अखबारों के दफ्तर जले जो अब भी अपने मास्टहेड पर Calcutta लिख रहे हैं?
हम यहां दिल्ली में देख ही रहे हैं। सभी लोग इसे दिल्ली ही पुकारते हैं मगर देखिए दिल्ली वालों ने इस शहर का क्या हाल कर दिया है। काश कि वे इसे अलग-अलग नामों से ही पुकारते लेकिन कम से कम हर रेडलाइट पर सिग्नल तो नहीं तोड़ते, हर मौके पर मां-बहन की गाली तो नहीं देते, आधी रात को कानफाड़ू संगीत तो नहीं बजाते।
Saturday, October 31, 2009
नगर परिषद चुनाव पर्यवेक्षकों का इंतजार
पाली. निकाय चुनाव को लेकर पार्षद तथा सभापति पद के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए चल रहे दांवपेच में अभी तक संगठन के पदाधिकारी उनके पास जमा हुए आवेदनों का पैनल बनाने में ही जुटे हुए हैं। भाजपा व कांग्रेस के नेता चुनाव प्रभारियों के पाली आने का इंतजार कर रहे हैं। भाजपा के प्रभारी जालमसिंह रावलोत के रविवार को पाली आने की उम्मीद है तो कांग्रेस ने अभी तक प्रभारी का नाम घोषित नहीं किया है। दोनों दलों ने पैनल बनाने के काम को अंतिम रूप दे दिया है। भाजपा में शनिवार शाम तक छह सौ से अधिक आवेदन आ चुके हैं ,वहीं कांग्रेस ने गोपनीय सर्वे के बाद पैनल को अंतिम रूप दिया है। नगर परिषद बोर्ड के लिए पहली बार सभापति का चुनाव सीधे ही मतदाताओं द्वारा करने का निर्णय होने और यहां सभापति का पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण दोनों दलों के कई बड़े नेता भी टिकट की दौड़ में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस के नेता तो जयपुर तथा नई दिल्ली की दौड़ लगाकर वापस लौट आए हैं। भाजपा में पाली से ही उम्मीदवारी तय होने के कारण स्थानीय नेताओं के समक्ष लाबिंग के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।
भाजपा में कमेटी करेगी फैसला भाजपा में चुनाव के लिए प्रदेश की तरफ से बनाई गई कमेटी को सभापति तथा पार्षद पद के लिए टिकट देने का निर्णय किया गया है। कमेटी में पूर्व सांसद, विधायक, उपसभापति, जिलाध्यक्ष, शहर अध्यक्ष, जिला महामंत्री को शामिल किया गया है। पार्षद के लिए अभी तक उनके पास साढ़े छह सौ आवेदन आ चुके है। रविवार को जिला प्रभारी रावलोत के आने की उम्मीद है। सभी टिकट सर्वसम्मति से तय किए जाएंगे।’-सोहन गौतम, शहर भाजपा अध्यक्ष, पाली
सीएम तय करेंगे कांग्रेस का टिकट कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मारवाड़ इलाके में निकाय चुनाव में सभापति पद के टिकट देने के लिए फ्रीहेंड देने का उच्चस्तरीय निर्णय हो गया है। इस जानकारी के बाद नेताओं ने अपने पक्ष में गहलोत के समक्ष लाबिंग करने की मशक्कत भी पिछले चार दिनों से चल रही है अभी तक पर्यवेक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है। टिकट के आवेदन लेने के बाद पैनल बना दिया है। सभी वाडरे में जीतने योग्य उम्मीदवारों को टिकट मिलेगा। सभापति का उम्मीदवार प्रदेश नेता तय करेंगे’-अजीज दर्द, शहर अध्यक्ष कांग्रेस,पाली
इंदिरा गांधी पुण्यतिथि पर कांग्रेस मे आरोप-प्रत्यारोप
पाली. इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर कांग्रेस भवन में शनिवार को आयोजित बलिदान दिवस पर भी संगठन नेताओं में गुटबाजी के स्वर साफ सुनाई दिए। नगर परिषद के सभापति प्रदीप हिंगड़ की फैक्ट्री पर पड़े पुलिस के छापे के मामले में कांग्रेस जिलाध्यक्ष सीडी देवल की ओर से लगाए आरोपों पर पलटवार करते हुए सांसद बद्रीराम जाखड़ ने कहा कि छापे में मेरा हाथ होना कोई साबित कर दे तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं।
इंदिरा गांधी की 25 वीं पुण्यतिथि पर कांग्रेस भवन में शनिवार को मेले सा माहौल था। कांग्रेस नेताओं के लिए इंदिरा गांधी को नमन करने के लिए कम और सांसद के समक्ष सभापति और पार्षद की दावेदारी जताने के लिए समय अधिक था। श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बाद पत्रकारों ने सांसद बद्रीराम जाखड़ से पूछा कि सभापति की फैक्ट्री पर छापा कार्रवाई के लिए आपको और भीमराज भाटी को जिम्म्मेदार बताया जा रहा है तो जाखड़ ने कहा कि कोई यह साबित कर दे तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। इस घटनाक्रम को लेकर चुनाव पर प्रभाव के संबंध में जाखड़ ने स्वीकार किया कि चुनाव में कांग्रेस को इसका नुकसान होगा। हांलाकि उन्होंने कहा कि गुटबाजी नहीं, हर कार्यकर्ता मे कांग्रेस का खून है।कांग्रेस कार्यालय में दो जगह दावेदारी के आवेदन लेने के बारे में जाखड़ ने स्पष्ट किया कि डीसीसी वाले दो-दो कॉपी लेते हैं। एक कॉपी प्रदेश अध्यक्ष को तो दूसरी उनके पास रहेगी। दावेदारी के मामले में जो चुनाव जीतने की क्षमता रखता होगा, उसकी ही पैरवी की जाएगी और उसी का नाम प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी को भेजा जाएगा।
पहले जाखड़ पहुंचे, फिर देवल आए इंदिरा गांधी बलिदान दिवस पर कांग्रेस भवन में आयोजित कार्यक्रम में सबसे पहले सांसद जाखड़, पूर्व विधायक भाटी के साथ पहुंचे। उनके जाने के बाद कांग्रेस जिलाध्यक्ष सीडी देवल अपने समर्थकों के साथ आकर कार्यक्रम में शिरकत की। वहीं प्रदेश कांग्रेस के प्रतिनिधि केवलचंद गुलेच्छा भी बाद में पहुंचे। इन नेताओं ने सेवादल कार्यक्रम में भी शिरकत की।
Thursday, October 29, 2009
पाली पुलिश अधिकारियो को निलंबित करने की मांग
सभापति प्रदीप हिंगड के उत्साही समर्थक हिंगड जिंदाबाद और पुलिस मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए जुलूस के रूप में कलक्टरी परिसर पहंचे। यहां एक प्रतिनिधिमंडल ने कलक्टर पृथ्वीराज से मुलाकात कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आरोप लगाया कि सीओ सिटी मन्नोराम मीणा और कोतवाल मय दल के बिना सर्च वारंट के सभापति प्रदीप हिंगड की फैक्ट्री में अनधिकृत घुस गए और उनकी छवि खराब करने का प्रयास किया। कलक्टर ने भरोसा दिलाया है कि उनकी बातों को मुख्यमंत्री तक पहंचाया जाएगा।पुलिस ने किसके इशारे पर सभापति की फैक्ट्री में बिना सर्च वारंट के अनधिकृत प्रवेश किया, इसकी उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए।
एसपी बी.एल. मीणा के पाली में कार्यभार संभालने के बाद जिले में आपराधिक गतिविधियां बढी हैं। चोरी, डकैती और हत्या सरीखी वारदातों का अब तक खुलासा नहीं हुआ। बागोल के चिंतामणि, सादडी के महाकाली और सोनाणा के खेतलाजी आदि मन्दिरो मे हुइ चोरी की बडी-बडी घटनाओ का अब तक कोई सुराग पुलिस नही लगा पाई हें।इसकी क्या वजह है? पुलिस अधीक्षक, उप अधीक्षक और कोतवाली थाना प्रभारी को तुरंत प्रभाव से निलंबित किया जाए।24 घंटे में तीनों पुलिस अफसरों को निलम्बित नहीं किया गया तो जनआंदोलन किया जाएगा।कलक्ट्रेट परिसर सुबह दस बजे से ही छावनी में तब्दील हो गया।जुलूस में महिलाएं शामिल होने से महिला पुलिसकर्मी भी तैनात की गई।
Saturday, October 24, 2009
NAKODA TEERTH, NEEDS BETTER MAINTENANCE
NAKODA TEERTH, RAJSTHAN NEEDS BETTER MAINTENANCE
Nakoda Teerth is no less of importance for entire Swetamber Jain Community than Badrinath / Kedarnath to Hindu’s, Jerusalem to Christens and Makka Madina to Muslims etc. This auspicious and highly respected and believed teerth is situated in hills near Jodhpur in Rajasthan. The place is visited by lakhs of dedicated pilgrims and devotees ( BOTH JAINS AND NON-JAINS) from all over the world. In fact most of the people repeatedly visit and consider it to be no less then Vaishno Devi and Tirupati for Hindu's. The number of people visiting and staying overnight is increasing year after year. Considering the requirements of infrastructural facilities in the temple complex some development have also taken place.
But if we look at the expectation of today’s generation, the facilities available are hardly satisfactory. Immediate attention is required to paid in the following areas.
1. Basic Sanitary Facilities: - Most of the toilets are extremely dirty and unusable. As local people are not available for the job, management can give Sanitary Contract to established organization like “Sulabh International” etc.
2. Water Problem: - Water is really scarce in the area. Substantial amount is paid for arranging water through contactors. This is not a permanent solutions. Since, the management has adequate financial resources problem can be permanently resolved. First method, could be, deep water tube wells in nearby areas. Secondly, the Government can be approached to provide exclusive water supply line for the temple. Plenty of potable water is available within 50 to 100 Km. radius of the temple. Nearby villages have fertile and agricultural land. Temple management can approach and compel State Government to solve this problem. Jain Community is very strong both politically and financially. If at all required, temple funds can also be used for water project. Thirdly, now a days it is also possible to install water treatment plant for the improvement of water quality.
3. Local People: - Temple should create self employment avenues for local people. Whatever educational facilities exist, need modernization and improvement. This can be done on the lines of “Sai Baba” town in south.
4. Health Facilities: - Technically, there is no medical aid available in the area. What is sometimes available is just one retired doctor without any supporting staff. Temple should request some community member to run at least 20 bed hospital and it should also be open to local population. Once again money is not an issue at temple.
5. Bhojanshala: - Grand Building is used for the purpose. But again the management is extremely poor. The place gets dirty, toilets are always stinking, wash basins are choked, Utensils not properly washed, food quality which used to be great a few years before, has substantially deteriorated. I feel present food charges are reasonable but if required these can be increased to bring improvements.
6. Dharmashala: - Number of room have been added but maintenance is poor. A lot can be learnt from Pawapuri Temple which is not very far away from this place.
7. Temple Building: - In view of ever increasing number of people to the temple, it is important to provide separate entry and exit gates in the main temple. Present entrance is very small and used for both entry and exit. This is an emergency requirement as temple is fully packed at the time of “Aarti".
8. Security: - Number of plain clothes security guards should be appointed, Cameras can also placed at critical points. Safe deposit vaults facility can also be provided.
9. Vehicle Parking: - Parking lots for all types of vehicles should be identified and structured. Presently it is chaotic, disorganized and unsafe for visitors.
10. Shops Out Side Temple Gate: - A few shops can be nicely constructed with in temple premises and allotted. Existing shops are spoiling the aesthetic look of the front gate of the temple.
11. Ornamentation of Surroundings Hills: - Some kind of plantation of on hills suitable to the environment and climate will improve the visual look of the place.
12. Staff Training: - All the employees working in the temple complex should be in uniform and carry name card with designation etc. Proper job training should also given to the employees. There salaries and allowance should be structured and transparent. Individual tipping should be restricted.
13. Temple Accounts: - Copy of temple accounts should be made public for better transparency. Cash handling procedure can be reviewed. Auditor’s can also be rotated. Besides, Statutory Auditor’s should also issue separately a long form report about the working of the trust and irregularities noticed during the year procedural checks.
Besides above there are many other smaller issues where attention can be paid to make the visitors comfortable. Each one of us is blessed by this Teerth and we have a duty to do this. I request the esteemed members of the management committee to consider my suggestions and make an attempt to implement them wherever possible. I look forward to have your response on this subject. Should you need any further information or my services in this regard you can always call me on (Anil Jain ) 98- 100-46108. E-Mail:tjaindia@gmail.com
STAMPS ON RANAKPUR AND DILWARA TEMPLES
Indian Postal Department has issued two beautiful stamps on World famous Jain Temples of RANAKPUR and DILWARA on 14th Oct. 2009. These both multicolored stamps depicts images of the Temples along with the unique architectures of these Temples. Miniature Sheet, First Day Cover and Information brochure of these Stamps have also been issued. Both the stamps are of the denomination of Rs. 5/- each. The First Day Cover and the Brochure are priced at Rs 2 each. Security Printing Press, Hyderabad printed 0.4 million stamps by wet offset process in the sheets of 24 and 0.4 million Miniature Sheet have been printed.These are available for sale at the Philatelic Bureaus of all the G.P.O. as well as big Post Offices of India
Ranakpur Jain Temple - Ranakpur is a village located in Desuri Tehsil near Sadri town in the Pali District of Rajasthan in western India. It is located between Jodhpur and Udaipur, in a valley on the western side of the Aravalli Range. The Ranakpur Jain Temples command huge respect from the Jain community worldwide. Built during the rule of Rana Kumbha, these temples have included Ranakpur in the list of five main pilgrim destinations of Jains in India. History has it that Rana Kumbha donated a vast stretch of land to Dhanna Shah so as to enable him to realize his dream of building a great temple. Today, these temples attract thousands of visitors every year from across the country and abroad. Temples of Ranakpur present a distinct style of their own. The ceilings of the temples are adorned with foliate scrollwork and geometric patterns. The top and bottom part of the domes are joined by Brackets with figures of deities on them. The most important amongst all the temples within the complex is the Chaumukha Temple. Dedicated to the first Jain Tirthankara, Adinath, it is a four faced temple which has a basement of 48000 sq feet. The temple boasts of four subsidiary shrines, 24 pillared halls and 80 domes standing on the support of nearly 400 columns (the total number of columns in the temple complex, however, is much larger, around 1444). Each of the columns is richly carved and interestingly no two columns present the same design. Moreover, the columns change colour from golden to pale blue with the passage of every hour during the day. So much for the artistic brilliance of the workmen! The temple is shaped like a Nalinigulm Vimana or heavenly aircraft that the Shah had seen in his dreams. The construction of the temple is extremely complex with four separate entrances leading to chambers inside. The chambers finally lead to the main hall which houses the image of Adinath encircled by several smaller shrines and domes. Another range of cells with individual roofs surround these shrines and domes yet again. Perhaps, the complexity of the structure was reason why the temple took around 65 years to complete.
Dilwara Jain Temple - Dilwara Jain temples are known world over for its extraordinary architecture and marvelous marble stone carvings, some experts also consider it architecturally superior to the Taj Mahal. It seems fairly basic temple from outside but every cloud has a silver lining, the temple interior showcases the extraordinary work of human craftsmanship at its best. These temples were built between 11th to 13th century AD, The beautiful lush green hills surrounding the temple gives a very pleasant feeling. The ornamental details of marble stone carvings is phenomenal and unmatched, The minutely carved ceilings and the pillars are just amazing. All this was done at a time when no transport or roads were available at a height of 1200+ Mtrs in Mount Abu, Huge blocks of marble stones were transported on elephant backs from the Arasoori Hills at Ambaji to this remote hilly region of Mount Abu. Dilwara temples is also a popular Jain pilgrimage attraction.
Of the five shrines in this group, four are architecturally significant. They are built with white marble stones. Each has a walled courtyard. In the centre of the courtyard is the shrine with the image of the deity, Rishabhdev. Around the large courtyard, there are numerous small shrines, each housing a beautiful image of the Tirthankaras with a series of elegantly carved pillars from the entrance to the courtyard. The ministers of the Solanki rulers of Gujarat had constructed all these temples during 11th and 13th centuries A.D.
Vimal Vasahi is the oldest temple, which has been dedicated to Adinath, the first Jain Tirthankara. Vimal Shah, minister of the then Solanki ruler of Gujarat, built it in the year 1031 A.D. The special feature of this temple is it’s ceiling which is circular in eleven richly carved concentric rings. The central ceiling of the temple is adorned with magnificent carving and it culminates into an ornamented central pendant. The pendant of the dome tapers down forming a drop or point, like a lotus flower. This is an astonishing piece of work. It symbolizes the divine grace coming down to fulfill human aspirations. Figures of 16 Vidya Devis (goddesses of knowledge) are carved on the ceiling.
The other Dilwara temples are the Luna Vasahi, Vastupala and Tejapala, named after the ministers of the then Vaghela ruler of Gujarat who built them in 1230 A.D. Inspite of being plain and austere on the outside, the interiors of all these temples are covered with delicate carvings. Its most notable feature is that the brilliant intricacy and delicacy of the marble carving is so fine that in places the marble becomes almost transparent.
Dilwara temples are one of the best examples of craftsmanship, the genius of carving out so brilliant and intricate a shape out of a block of stone, such that it almost comes to life! The temple is a tourist’s paradise and a meditative sanctum for the devotees.
Wednesday, October 21, 2009
लोढ़ा और पुरोहित को मिलेगा जीत का ताज
मुंबई, २१ अक्टूबर। पिछले नौ दिनों के रहस्य का इंतजार आज पूरा हो चुका है। संपूर्ण देश की नजरें महाराष्ट्र, अरूणांचल प्रदेश तथा हरियाणा के विधानसभा चुनाव परिणाम पर टिकी हैं । वहीं महाराष्ट्र के नौ करोड़ लोगों को २८८ सीटों के चुनाव परिणाम का बेसब्री से इंतजार है। लेकिन मुंबई एवं ठाणे में बसे लाखों राजस्थानियों को चुनाव प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य का इतंजार है। मुंबई -ठाणे के हर प्रवासी के मन में तीन भाजपा तथा १ कांग्रेस प्रत्याशी की हार-जीत के परिणाम पर उत्सुकता बनी हुई है। चुनाव लड़े चारों प्रत्याशियों की राजनीतिक परिस्थिति ने आम प्रवासी बंधु की उत्सुकता को और बढ़ाने का काम किया है। सभी प्रवासियों की नजरें मुंबा देवी से चार बार भाजपा विधायक रहे तथा पांचवी बार कोलाबा से चुनाव लड़े राज.के. पुरोहित के पांचवे चुनाव परिणाम पर है। वहीं मलबार हिल सीट से फोर मारने के लिए चुनाव लड़े भाजपा विधायक मंगलप्रभात लोढ़ा का चुनाव क्षेत्र प्रवासियों के लिए सबसे उत्सुकता वाला तथा सबसे सुरक्षित क्षेत्र लग रहा है, क्योंकि लोढ़ा का मुकाबला कांग्रेस प्रवासी उम्मीदवार राजकुमार बाफना से है। आम प्रवासियों की धारणा है कि चाहे लोढ़ा जीतें या बाफना दोनों अपने ही हैं। इसी प्रकार अल्प समय में राजनीतिक छलांग लगाकर मीरा-भायंदर के महापौर बने नरेंद्र मेहता ने भाजपा से राकांपा के गिल्बर्ट मेंडोसा के सामने चुनाव लड़ा है। राजनीति मे भाग्यशाली रहे नरेंद्र मेहता के भाग्य को आज फिर आजमाना है। मीरा-भायंदर से मेहता के चुनाव जीतने की सभी प्रवासियों को बड़ी उम्मीद है लेकिन मेहता की उम्मीद के परिणाम की घड़ी आ चुकी है।
चुनाव परिणाम कैसा भी रहे चार प्रवासियों में से एक का हारना एकदम तय है। मलबार से मंगलप्रभात लोढ़ा तथा कांग्रेस से राजकुमार बाफना चुनाव लड़े हैं ऐसे में किसी एक की जीत तो दूसरे की हार पक्की है। अगर लोढ़ा चुनाव जीते तो फोर मारेंगे तथा बाफना जीते तो ज्वाइंट किलर कहलाएंगे। वहीं राज के.पुरोहित कोलाबा से कांग्रेस की ऐनी शेखर से चुनाव लड़ हैं । उनके लिए इस चुनाव में पिछले चुनावों से दो चीजें बिल्कुल अलग है, वे अपना पहला चुनाव किसी महिला के सामने लड़े हैं तथा वे पहली बार कोलाबा से चुनाव लड़े हैं। देखते हैं वे एक बार नगरसेवक तथा चार बार पुरुष उम्मीदवार को हराने में सफल रहे हैं, लेकिन महिला को हराने में कितने सफल रहते हैं। मारवाड़ जैन संघ मुंबई प्रमुख भरत सोलंकी का मानना हैं की राज पुरोहित और मंगलप्रभात लोढ़ा की जीत लगभग तय हैं ।
Godwad Times:Marwad loot incident
Thursday, October 1, 2009
बागोल सहित मारवाड़ के गाँवो से अब बीस पैसे में बातचीत
बीएसएनएल ने पिछले दिनों पूरे राज्य में सभी टावर्स पर घनत्व का सर्वे करवाया था। इस दौरान जितने टावर्स पर घनत्व निर्धारित मापदण्डों से कम मिला वहां ग्रामीणों को बीस पैसे में बात करने की सुविधा देने का निर्णय किया गया। अभी लोकल कॉल के बीएसएनएल नब्बे पैसे वसूलता है। केन्द्र सरकार की सामुदायिक सेवा केन्द्र योजना के तहत पाली जिले में बनने वाले केन्द्रों में बीएसएनएल वॉयमैक्स तकनीक के ब्राडबैण्ड कनेक्शन देगा इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है। ग्रामीण क्षेत्र में सभी ग्राम पंचायतों को ब्राडबैण्ड से जोडने के लिए डबल्युएलएल तकनीक से वाइमैक्स सिस्टम लागू किया जाएगा। योजना के प्रथम चरण की क्रियान्विति के लिए देसुरी व रायपुर में टॉवर लगाए जाएंगे। इसके लिए उपकरण मिल गए है। द्वितीय चरण में 38 टॉवर लगाए जाएंगे। मारवाड़ जैन संघ के प्रमुख भरत सोलंकी ने उक्त योजना का स्वागत करते हुए कहा की इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बढ़ते हुए कदम देश को जल्द ही विकाश के शिखर की ओर ले जाएगा।
Thursday, September 3, 2009
God Krishana's Awatar Baba Ramdev at Ganthi
Thursday, August 27, 2009
Desh bhar mai "BAGOL" ki charcha
Thursday, August 20, 2009
Robbery in Bagol Chintamani Parswanath Temple
सेवामे,
श्रीमान अशोकजी गहलोत
माननीय मुख्यमंत्रीजी
राजस्थान सरकार,
सचिवालय जयपुर
महोदय,
विषय: पाली जिले के बागोल गाँव के चिंतामणी पार्स्वनाथ जिनालय में चोरी के सम्बन्ध में ।
इधर मुंबई सहित देश भर में प्रवासी जैन समाज के लोग जिले में हो रही लगातार चोरी डकैती की घटनाओ से चिंतित हैं। आपसे निवेदन हैं कि जैन समाज की धार्मिक भावनाओ को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र में हो रही इस तरह कि घटनाओ पर अंकुश लगाने एवं उपरोक्त घटना की समुचित जाँच कराने की कृपा करे जिससे लगातार हो रही इन चोरी की घटनाओ की साजिश का पर्दाफाश हो सके ताकि सरकार के प्रति जैन समाज का विश्वास कायम रहे।
भवदीय
भरत सोलंकी
प्रमुख,मारवाड़ जैन संघ मुंबई
Friday, February 6, 2009
It is probably the first time that a Jain temple has been heavily insured in the interest of its safety and security against terrorism. Keeping in mind the attack on Akshardham temple at Gandhi Nagar recently, the Trust managing the affairs of Shri Nakoda Parshwa Nath Ji temple, about 120 Km. from Jodhpur in Rajasthan has been insured for a sum of Rs. 44.05 crores by Oriental Insurance Company against militant attacks or terrorist activities, riots, theft, dacoity of temple premises, gold and silver jewellery, fire, strikes and natural calamities, earth-quakes, water calamities and beak-down of diesel generator sets, dharmshalas, . The Trust has paid first annual instalment of Rs. 3 lakh 71 thousand towards this insurance. Beside, the pilgrims visiting the temple have also been insured for Rs. 4 crores by a special insurance policy that the Insurance Company has designed for the temple management. The Trusts of many other temples, such as those at Nath Dwara and Mt. Abu, are also now considering the idea of insuring their temple property. (Hindustan Times, dated 26th December)
Tuesday, January 27, 2009
Jain Bharat Matrimony
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http://www.orkut.co.in/Main#Community.aspx?cmm=59015594